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Piles

Dr. Mohit Joshi (B.A.M.S.) , Ankita Joshi (M.Pharma)

7/18/20251 min read

Piles :-

पाइल्स को मेडिकल भाषा में अर्श,बबासीर,हेमरॉइड्स, पाइल्स के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा (ऐनस) के अंदरूनी (Internal) और बाहरी (External) क्षेत्र और मलाशय (रेक्टम) के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है और इसकी वजह से ऐनस के अंदर और बाहर या किसी एक जगह मस्से जैसी स्थिति बन जाती है, जो कभी अंदर रहते हैं और कभी बाहर भी आ जाते हैं और मनुष्य को शत्रु के समान नष्ट करते हैं। 

 बवासीर का वर्गीकरण (Classification of Piles ) :-

A. आयुर्वेद शास्त्रों में अर्श का अलग-अलग प्रकार से वर्गीकरण किया है.

शल्य क्रिया (Surgery) के जनक और आयुर्वेद के प्रमुख आचार्यों में एक आचार्य सुश्रुत जी ने अर्श को 6 प्रकार का बताया है

1. वातज अर्श

2. पित्तज अर्श

3. कफज अर्श

4. रक्तज अर्श

5. सन्निपातज अर्श

6. सहज अर्श

B. आधुनिक चिकित्सा पद्यति के अनुसार अर्श /पाइल्स का वर्गीकरण इस प्रकार किया गया है :-

1. Anatomically :-

a)  Internal Hemorrhoids :- यह डेंटेट लाइन के ऊपर स्थित होता है और म्यूकोसा से ढका होता है. सामान्य भाषा में कहें तो इस प्रकार के बवासीर एनल कैविटी के अंदर होते हैं, लेकिन अक्सर आपके गुदा से बाहर लटक सकते हैं 

b)  External Hemorrhoids :- यह डेंटेट लाइन के नीचे स्थित होता है और त्वचा से ढका होता है। 

सामान्य भाषा में इस प्रकार का बवासीर एनल कैनाल के नीचे गुदा के नज़दीक होता है। 

c)  Interno External Hemorrhoids:- यह डेंटेट लाइन के ऊपर और नीचे स्थित होता है और म्यूकोसा और त्वचा से ढका होता है।

 

2. According to location (स्थान के अनुसार) :- 

a) Primary Piles :-  11 o’clock , 7 o’clock  और 3 o’clock  को Primary Piles कहते हैं

b) Secondary Piles :- 1 o’clock,  2 o’clock को Secondary Piles कहते हैं

3. According to Prolapse :-

· फर्स्ट डिग्री :- इस स्थिति में, बवासीर गुदा से बाहर नहीं निकलता है लेकिन उसमें से खून आ सकता है।

· सेकेंड डिग्री :- इसमें बवासीर मल त्याग के दौरान गुदा से बाहर आता है लेकिन बाद में अंदर चला जाता है।

· थर्ड डिग्री :-  इसमें बवासीर मल त्याग के दौरान गुदा से कभी-कभी बाहर आता है लेकिन अगर आप इसे धीरे से धक्का देंगे तो यह अंदर चला जाएगा।

· फोर्थ डिग्री :- वे आंशिक रूप से आपकी गुदा के बाहर होते हैं और उन्हें अंदर नहीं धकेला जा सकता है।

बवासीर के लक्षण (Symptoms of piles)

· गुदा वाले हिस्से में खुजली

· गुदा वाले हिस्से में दर्द, खासकर लंबे समय तक बैठे रहने पर

·  गुदा वाले हिस्से के पास एक या ज़्यादा सख्त, कोमल गांठ

· मल त्याग करते समय दर्द / परेशानी  का होना

· मल त्याग के वक्त लाल चमकदार रक्त का आना. मल त्याग के वक्त म्यूकस का आना और दर्द का अहसास होना.ऐनस के आसपास खुजली होना

Piles होने के सामान्य कारण :-

· लगातार रहने वाली और पुरानी कब्ज

·  मल त्याग में ज्यादा जोर लगानालगातार

·  बार-बार होने वाला डायरिया

· ज्यादा वजन लगातार उठाना

· मोटापा

· प्रेग्नेंसी में भी कई बार पाइल्स की समस्या हो जाती है

तथ्य :-

  • .एक शोध के अनुसार विश्व में 4.4% (लगभग 10 मिलियन ) लोग पाइल्स से पीड़ित हैं

  •  करीब 70 फीसदी लोगों को अपने जीवन में किसी न किसी वक्त पाइल्स की समस्या रही है

  •  उम्र बढ़ने के साथ-साथ पाइल्स की समस्या बढ़ सकती है।

  • अगर परिवार में किसी को यह समस्या रही है तो इसके होने की आशंका बढ़ जाती है   

  • यह स्थिति महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक आम है 

चिकित्सा (Treatment):-

1. औषध चिकित्सा (Medicine) :-

  • आयुर्वेद शास्त्रों में अर्श(piles) की चिकित्सा के लिए विभिन्न औषधियों को बताया है जैसे पिप्पली ,चित्रक ,तालिश्पत्र ,नागकेशर, हरितकी ,आमलकी ,विभीतकी आदि

  • आयुर्वेदिक विशेषज्ञो द्वारा अर्श (piles) की चिकित्सा निम्न प्रकार से भी करी जाती है त्रिफला चूर्ण , पंचसकार चूर्ण एक चम्मच रात को गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लें

  • Arsh- Forte Capsule के दो capsule सुबह-शाम खाने के बाद पानी से लें

  • खाने के बाद अभयारिष्ट 15 ml आधा कप पानी में मिलाकर लें

  • जात्यादि तेल को मस्सों में सुबह-शाम लगाएं

  • एक टब गर्म पानी में एक चुटकी फिटकरी या जात्यादि तेल डालकर सुबह-शाम सिकाई करें  

2. क्षारसूत्र चिकित्सा :-

इस तरीके में एक मेडिकेटेड धागे का उपयोग किया जाता है, जिसे क्षारसूत्र कहते हैं। इस धागे को एक खास तरीके से कुछ आयुर्वेदिक दवाओं से बनाया जाता है 

 ऐलोपैथी :-

1. दवाओं से (Medications) :- ऐलोपैथी चिकित्सा पद्यति में रोगी के लक्षणों के आधार पर चिकित्सा करी जाती है जैसे

दर्द, सूजन में Paracetamo

 खून निकलने पर Tranexamic Acid 

Topical use के लिए Phenylephrine (0.10% w/w) + Beclometasone (0.025% w/w) + Lidocaine (2.50% w/w) या Cinchocaine (10% w/w) + Policresulen (50% w/w) 

2. एंडोस्कोपिक स्केलरोथेरपी या इंजेक्शन थेरपी 

3. सर्जरी

क्या खाएं क्या नहीं :-

क्या खाएं (Do) :-

अनाज :- गेहूं, जौ, शाली चावल

दाल :- मसूर दाल, मूंग, गेहूं, अरहर

फल एवं सब्जियां :- परवल, लहसुन, लौकी, तोरई, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, आँवला, पपीता, मूली के पत्ते, मेथी, साग, फाइबर युक्त फल :- खीरा, गाजर, सेम, बीन्स

अन्यः- हल्का खाना, काला नमक, मट्ठा, ज्यादा पानी पीएं, जीरा, हल्दी, सौंफ, पुदीना, शहद, नींबू, हींग

क्या नहीं (Don't):-

अनाज :- नया अनाज, मैदा

दाल :- उड़द दाल, काबुली चना, मटर, सोयाबीन, छोले

फल एवं सब्जियां :- आलू, शिमला, मिर्च, कटहल, बैंगन, अरबी (गुइया), भिंडी, जामुन, आड़ू, कच्चा आम, केला, सभी मिर्च

अन्य :- गुड़, सब्जियाँ, ठण्डा खाना

सख्त मना  :- मदिरा, तैलीय मसालेदार भोजन, मांसाहार, तेल, घी, बेकरी उत्पाद, जंक फूड, डिब्बाबंद भोजन

निर्देश :- Piles की चिकित्सा रोग और रोगी के लक्षणों ,शारीरिक स्थिति के आधार पर योग्य चिकित्सक के निर्देशानुसार ही करनी चाहिए